पौधों में परिवहन
(Transport in Plants)
Previous Year Questions
Note:- प्रीवियस ईयर के questions रिपीट होते हैं तो इसे ध्यान से पढ़ें
1. जाइलम किसका स्थानान्तरण करता है? (2019)
(a ) जल, खनिज लवणों, कुछ जैवीय नाइट्रोजन एवं हॉर्मोनों का
(b) केवल जल का
(c) केवल जल और खनिज लवणों का
(d) केवल जल, खनिज लवणों और कुछ जैवीय नाइट्रोजन का
2. फ्लोएम में शर्करा की गति दिशा कौन-सी होती है? (2019)
(a) द्वि-दिशागामी
(b) बहुदिशाहीन
(c) ऊध्र्वगामी
(d) अधोगामी
3. रन्ध्रों की गतिशीलता किससे प्रभावित नहीं होती?उचित विकल्प का चयन कीजिए (2018)
(a) O2 सांद्रता से
(b) प्रकाश से
(c) तापमान से
(d) CO2 सांद्रता से
4. शुद्ध जल का जल विभव कितना होता है? (2017)
(a) शून्य
(b) शून्य से कम
(c) शून्य से अधिक परंतु एक से कम
(d) एक से अधिक
5. रंध्र छिद्र के खुलने में निम्नलिखित में से क्या सहायता करती है?(2017)
(a) द्वार कोशिकाओं की बाहरी भित्ति का संकुचन
(b) द्वार कोशिकाओं की स्फीति में कमी
(c) द्वार कोशिकाओं की कोशिका-भित्ति में सेल्युलोज सूक्ष्मतंतुकों का त्रिज्यीय विन्यास
(d) द्वार कोशिकाओं की कोशिका-भित्ति में सेल्युलोज सूक्ष्मतंतुकों का अनुदैध्र्य विन्यास
6. एक उपर्युक्त विधि द्वारा एक पादप के तने को आर पार काटकर रस की कुछ बूंदें एकत्रित की गयीं। रस का रासायनिक परीक्षण किया गया। निम्नलिखित में से कौन-सा परीक्षण-परिणाम यह दर्शाएगा कि यह फ्लोएम रस है?(2016)
(a) निम्न अपवर्तनांक
(b) शर्करा की अनुपस्थिति
(c) क्षारीय
(d) अम्लीय
7. द्वार कोशिकाओं को घेरने वाली विशिष्टीकृत बाह्यत्वचीय कोशिकाओं को क्या कहा जाता है?(2016)
(a) आवर्धत्वक कोशिकाएँ
(b) वातरन्ध्र
(c) पूरक कोशिकाएँ
(d) सहायक कोशिकाएँ
8. एक लम्बे वृक्ष की दारू वाहिकाओं में जल का स्तम्भ अपने भार से नहीं टूटता इसका कारण है(2015)
(a) जल की तनन शक्ति
(b) दारू वाहिकाओं का लिग्निकरण
(c) धनात्मक मूल दाब
(d) जल में घुलित शर्करा
9. मूलदाब किसकी वजह से विकसित होता है?(2015)
(a) मृदा में निम्न परासरणी विभव के कारण
(b) निष्क्रिय अवशोषण के कारण
(c) वाष्पोत्सर्जन में बढ़ाव के कारण्
(d) सक्रिय अवशोषण के कारण
10. निम्नलिखित में से कौन-सा मानदण्ड संसाधित अभिगमन से सम्बन्ध नहीं रखता है?(2013)
(a) विशिष्ट कला प्रोटीन की आवश्यकता
(b) उच्च चयनता
(c) अभिगमन संतृप्तता
(d) ऊध्र्व अभिगमन
11. स्थलीय पौधों में, द्वार कोशिकाएँ अन्य उपचर्म कोशिकाओं से किसके मौजूद होने में भिन्न होती है?(2011)
(a) कोशिकाकंकाल
(b) माइटोकॉन्ड्रिया
(c) एन्डोप्लाज्मिक जालक
(d) क्लोरोप्लास्ट
12. बिन्दु स्त्राव किसका परिणाम है?(2011)
(a) मूल दाब
(b) विसरण
(c) वाष्पोत्सर्जन
(d) परासरण
13. द्वार-कोशिकाएँ किस में सहायक होती है?(2009)
(a) संक्रमणों से लड़ने में
(b) चरने से बचाने में
(c) वाष्पोत्सर्जन में
(d) राइ बिंदुस्राव में
14. रसारोहण के दौरान, वाहिकाओंध्ट्रैकीडों में जल स्तम्भ का टूटना एवं प्रभाजन सामान्यतः किसके कारण नहीं होता है?(2008)
(a) मंद गुरुत्वाकर्षण अभिकर्ष
(b) वाष्पोत्सर्जन अभिकर्ष
(c) लिग्नीकृत मोटी भित्तियाँ
(d) संसजन तथा आसंजन
15. चालनी नलिका सदस्यों के द्वारा कार्बनिक विलेयों के स्थानान्तरण में क्या सहायक होताध्होते हैं?(2006)
(a) मूल दाब तथा वाष्पोत्सर्जन खिंचाव।
(b) पी-प्रोटीन।
(c) एक वाहक और ए.टी.पी. निहित संहति प्रवाह।
(d) कोशिकाद्रव्यी प्रवाह।
16. पोटोमीटर किस सिद्धान्त पर कार्य करता है?(2005)
(a) नलिका के सिरे तथा पौधे के सिरे के बीच विभवांतर
(b) अवशोषित जल की मात्रा वाष्पोत्सर्जित जल की मात्रा के बराबर होती है।
(c) परासरण दाब।
(d) मूल दाब।
17. वातरन्ध्रों का मुख्य कार्य है(2002)
(a) वाष्पोत्सर्जन
(b) बिन्दुस्राव
(c) गैसीय विनिमय
(d) ब्लीडिंग
18. रन्ध्रों का खुलना व बंद होना किसके कारण होता है?(2002)
(a) द्वार कोशिकाओं में हॉर्मोनों के परिवर्तन के कारण।
(b) द्वार कोशिकाओं में स्फीति दाब के परिवर्तन के कारण।
(c) गैसों के विनिमय के कारण।
(d) श्वसन के कारण।
19. फ्लोयम लोडिंग, किससे सम्बन्धित है?(2001)
(a) फ्लोयम में शर्करा का बढ़ना।
(b) फ्लोयम कोशिका का दीर्धीकरण।
(c) फ्लोयम मदुतक का पृथक होना।
(d) फ्लोयम तंतुओं का सुदृढीकरण।
20. ग्लाइकोलेट प्रेरित स्टोमेटा खुलते हैं(2001)
(a) O2 की उपस्थिति में
(b) CO2 की कम सान्द्रता में
(c) CO2 की उच्च सान्द्रता में
(d) CO2 की अनुपस्थिति में
21. खनिजों का निष्क्रिय अवशोषण निर्भर है(2001)
(a) ताप पर
(b) ताप तथा उपापचयी निरोधकों पर
(c) उपापचयी निरोधकों पर
(d) आर्द्रता पर
22. निम्न में से किस पादप में धंसे हुए रन्ध्र पाये जाते हैं?(2001)
(a) कनेर
(b) हाइड्रिला
(c) आम
(d) अमरूद
23. जब जल एक अर्धपारगम्य झिल्ली से होकर गुजरता है, तो कौन सा दाब उत्पन्न होता है?(2001)
(a) O.P.
(b) S.P.
(c) T.P.
(d) W.P.
1. जल, खनिज लवणों, कुछ जैवीय नाइट्रोजन एवं हॉर्मोनों का
2. आहार मुख्यतः शर्करा, वाहिका ऊतक के फ्लोएम द्वारा उद्गम से कुंड की ओर परिवहनित किया जाता है। सामान्यतः स्रोत को पौधे का वह हिस्सा माना जाता है जहाँ आहार संश्लेषित होता है, जैसे कि पत्तियाँ। कुंड (सिंक) यह वह भाग है, जहाँ भोजन एकत्र होता है लेकिन यह स्रोत और कुंड अपनी भूमिकाएँ मौसम एव जरूरत अनुसार बदल भी सकते हैं। चूँकि स्त्रोत और कुंड का संबंध परिवर्तनशील है, अतः फ्लोएम में शर्करा की गति की दिशा ऊपर या नीचे की ओर अर्थात् दोतरफा हो सकती है।
3. रंध्रो का खुलना व बंद होना उच्च तापक्रम, प्रकाश व CO2 की सांद्रता से प्रभावित होता हैं। जबकि CO2 सांद्रता का रंध्र खुलने व बंद होने पर नगण्य प्रभाव होता हैं।
4. शून्य
5. रंध्र (stomata) को घेरे दो रक्षक कोशिकाओं (Guard cell) में जब स्फीति दाब (Turgor pressure) बढ़ता है तो पतली बाहरी भित्तियाँ बाहर की ओर उभरती है और अंदरुनी भित्ति को अर्धचंद्राकार (Crescent shape) स्थिति में आने को मजबूर करती है। इस कारण रंध्र खुल जाते है। रंध्र छिद्र के खुलने में रक्षक कोशिका की भित्तियों में उपस्थित सूक्ष्म सूत्राभ अथवा सूक्ष्मतंतु (Microfibrils) भी सहायता करते है। सेल्युलोज सूक्ष्मसूत्राभ का अभिविन्यास अरीय अथवा ज्यिीय क्रम (Radial orientation) से होता है न कि अनुदैध्र्य क्रम (Longitudinal orientation) से जो रंध्र छिद्र को आसानी से खोलता है।
6. निम्न अपवर्तनांक
7. पौधे की पत्ती एवं तने की अधिचर्म पर कई छिद्र पाए जाते हैं जिन्हें स्टोमेटा कहते हैं। प्रत्येक स्टोमेटा एक जोडी विशिष्टीकृत कोशिका जिन्हें द्वार कोशिका कहते हैं, से घिरा रहता है। ये द्वार कोशिकाएँ एक अन्य कम परिवर्तित अधिचर्म कोशिकाओं से घिरे रहते हैं जिसे सहायक कोशिका कहते हैं। ये कोशिका द्वार कोशिक को आधार प्रदान करती हैं।
8. वाहक तत्त्वों युक्त जल के ऊपर स्थानांताण के लिए ससंजन, आसंजन एवं पृष्ठ तनाव आदि बल उत्तरदायी है जल के अणु आपस में एक मजबूत आकर्षण बल के द्वारा जुड़े रहते हैं जिसे ससंजन बल कहते है ससंजन बल के कारण जल स्तम्भ एक तनाव ग्रहण करते हैं जो लगभग 100 atm तक बढ़ जाता है अतः संसजन बल को तन्य शक्ति भी कहा जाता है। इसका सैद्धांतिक मान लगभग 15000 atm होता है जबकि वाहिका तत्वों में इसका मापित मान 45 atm से 207 atm के मध्य आता है। एक अन्य बल आसंजक बल जो जल अणु एवं भित्ति के मध्य लगता है जिसके कारण जल स्तम्भ नहीं टूटता। वाहिका एवं वाहिनिका में उच्च केशिकातत्व के लिए एक अन्य बल पृष्ठ तनाव का भी महत्त्व होता है।
9. मूलदाब एक धनात्मक दाब है जो कुछ पौधों के मूल में जाइलम रस में विकसित होता है। यह सक्रिय जल अवशोषण का परिणाम है।
10. संसाधित विसरण प्रोटीन चैनल एवं वाहक प्रोटीन द्वारा होता है। अधिकांश परिवहित प्रोटीन बहुत अधिक चयनित होते हैं एवं कुछ विशिष्ट अणुओं का ही वहन करते हैं। इस परिवहन में एक विशिष्ट पारगमित आन्तरिक प्रोटीन से कई अणु एवं आयन पारगमित होते हैं। प्रोटीन की कुछ मुख्य श्रेणी में जो संसाधित विसरण में भाग लेती है वह एक्वापोरिन, आयन चैनल एवं वाहक प्रोटीन है तथा अणुओं का वहन करने के लिए इन्हें ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है। ये वाहक प्रोटीन अणुओं को उनकी निम्न सांद्रता प्रवणता की ओर वाहित करते हैं।
11. पत्ती तथा तने की उपत्वचा पर स्टोमेटा पाए जाते हैं जो प्रत्येक ओर से द्वार कोशिकाओं द्वारा घिरे रहते हैं। द्वार कोशिका अधिचर्म की कोशिका से निम्न तथ्यों में अलग होती है
द्वार कोशिका सेम के आकार की होती है जबकि अधिचर्मीय कोशिका अनिश्चित आकार की होती है।
द्वार कोशिका में क्लोरोप्लास्ट उपस्थित होते हैं जबकि अधिचर्म कोशिका में नहीं पाए जाते हैं।
अधिचर्म कोशिक एकमात्र अधिचर्मीय कोशिका होती है जो शर्करा का निर्माण करती है।
12. उत्तर संख्या 4 मूलदाब के प्रभाव को हम रात में या सुबह देख सकते हैं जब वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो तथा पत्तियों के शीर्ष पर अत्यधिक जल बूंदों के रूप में एकत्रित हो जाता है। इस प्रकार तरल अवस्था में जल की हानि को बिन्दु स्राव कहा जाता है।
13. रन्ध्र वाष्पोत्सर्जन हेतु मुख्य अंग है। तने तथा पत्तियों की सतह पर अनेक रन्ध्र पाए जाते हैं। रन्ध्रों के द्वारा जल वाष्प का विसरण वाष्पोत्सर्जन कहलाता है। प्रकाश संश्लेषण के दौरान ऑक्सीजन एवं कार्बन डाईऑक्साइड के विनिमय के दौरान ही वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया होती है। रन्ध्रों का खुलना एवं बंद होना द्वार कोशिकाओं द्वारा निर्धारित होता है।
14. उत्तर संख्या 8 देखें।
15. P-प्रोटीन (फ्लोएम प्रोटीन) चालनी नलिका के अपघटक होते हैं जो इसमें बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। P-प्रोटीन का मुख्य कार्य चालनी नलिका की चालनी प्लेट पर अवरोध पैदा करना होता है। यह कार्य P-प्रोटीन द्वारा तब किया जाता है जब चालनी नलिका क्षतिग्रस्त हो गई हो। P-प्रोटीन एवं कैलोज आपस में मिलकर अवरोधक प्लग का निर्माण करते हैं तथा चालनी नलिका के छिद्रों को बन्द कर देते हैं। P-प्रोटीन काय चालनी नलिका में भोज्य पदार्थों के परिवहन का भी कार्य करते हैं किन्तु यह सर्वमान्य तथ्य नहीं हैं।
16. पोटोमीटर एक उपकरण है जिससे वाष्पोत्सर्जन की दर ज्ञात की जाती है। पोटोमीटर के मुख्य प्रकार निम्न हैः
(1) सरल पोटोमीटर
(2) फार्मरस पोटोमीटर
(3) गेनोग्स पोटोमीटर पूरा उपरण काँच का बना होता है जिसमें एक लम्बी नलिका तथा बाईं ओर मुड़ी हुई एक पार्श्व नलिका होती है।
17. वातरन्ध्रों का निर्माण सामान्यतया पूर्ववर्ती निष्क्रिय रन्ध्रों के स्थान पर होता है जिनमें अन्तरकोशिकीय अवकाश पाए जाते हैं। यह तुलनात्मक रूप से कोशिकाओं की एक ढीली व्यवस्था की संरचना होती है जहाँ परिचर्म से वायु प्रवेश करती है। वातरन्ध्र काष्ठीय पौधों का एक लक्षण होता है इसके अतिरिक्त ये पौधों की जड़ों एवं अन्य चिरस्थायी भागों में भी पाए जाते हैं जिनसे ऑक्सीजन प्रवेश करती ळें
18. उत्तर संख्या 19 देखें।
19. पौधे के किसी भाग की फ्लोएम, जो स्रोत पास में स्थित हो जैसे हरी पत्तियों में शर्करा की सांद्रता बढ़ जाती है इस प्रक्रिया को फ्लोएम लोडिंग कहते हैं। मीजोफिल कोशिकाओं में स्थित क्लोरोफिल सुक्रोज का निर्माण होता है जो सिमप्लास्ट अथवा एपोप्लास्ट पों द्वारा स्रोत की ओर गमन करते हैं।
20. फेलिच (1963) ने सुझाव दिया कि द्वार कोशिकाओं में CO2 की कम सान्द्रता होने पर ग्लाइकोलिक अम्ल का निर्माण होता है। ग्लाइकोलेट आगे कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करता है। इस स्थिति में परासरणीय सक्रिय तत्वों एवं ATP का निर्माण होता है। ATP का निर्माण ग्लाइऑक्सीलेट ग्लाइकोलेट शटल के दौरान होता है। ये ATP द्वार कोशिकाओं में जल के सक्रिय परिवहन में सहायता करता है जिससे रन्ध्र खुलते हैं एवं जब यह प्रक्रिया व्युत्क्रम रूप से होती है तब रन्ध्र बन्द हो जाते हैं।
21. तापमान बढ़ने पर लवणों के अवशोषण की दर बढ़ जाती है। एक निश्चित सीमा के बाद तापमान बढ़ने पर अवशोषण की दर कम हो जाती है क्योंकि ताप की एक निश्चित सीमा के बाद एन्जाइम विकृत हो जाते है अथवा वाहकों का संश्लेषण नहीं होता है। इन वाहकों की आवश्यकता बाहर से आन्तरिक अवकाश की ओर सक्रिय परिवहन हेतु होती है।
आयनों या अणुओं के विसरण की दर में वृद्धि उच्च ताप पर उनकी गतिज ऊर्जा में वृद्धि के कारण होती है तथा लवणों का अक्रिय अवशोषण भी बढ़ता है।
22. धंसे हुए रन्ध्र मरूदभिद पादपों में पाये जाते है। उदाहरण-कनेर (नीरीयम)
23. अर्ध-पारगम्य झिल्ली के दूसरी ओर विलयन में शुद्ध जल के बहाव को रोकने हेतु आवश्यक दबाव परासरण दाब कहलाता है। इसलिए पानी कम परासरण दाब के क्षेत्र से उच्च परासरण दाब के क्षेत्र की ओर जाता है। स्फीति दाब, हाइड्रोस्टेटिक दाब है, जो कोशिका में तब स्थापित होता है जब उपस्थित जल भित्ति के लचीलेपन के विरुद्ध कार्य करता है। चूषण दाब जो जल को लेने हेतु उपलब्ध है।
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