पुष्पी पादपों की शारीर
(Anatomy of Flowering Plants)
Previous Year Questions
1. अत्याधिक शुष्क मौसम में घास की पत्तियाँ अन्दर की ओर मुड जाती हैं। निम्नलिखित में से इसके सबसे उपयुक्त कारण का चयन कीजिए।(2019)
(a) वाहिकाओं में टाइलोसिस
(b) रंध्रों का बंद होना
(c) बुलीफार्म कोशिकाओं का शिथिल होना
(d) स्पंजी पर्णमध्योतक में वायु स्थानों का सिकुड़ना
2. अनावृतबीजियों के फ्लोएम में किसका अभाव होता है?(2019)
(a) चालनी नलिका और सहचर कोशिकाओं दोनों का
(b) एल्बुमिनीय कोशिकाओं और चालनी कोशिकाओं का
(c) केवल चालनी नलिकाओं का
(d) केवल सहचर कोशिकाओं का निम्नांकित विकल्पों में से सही उत्तर का चयन की
3. वृक्षों में वार्षिक वलयों के बनने के विषय में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?(2019)
(a) शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों के वृक्षों में वार्षिक वलय सुस्पष्ट नहीं होती है।
(b) वार्षिक वलय एक वर्ष में वसंतदारु और शरददारु के उत्पन्न होने का एक संयोजन है।
(c) एधा (कैम्बियम) अंतरीय सक्रियता के कारण ऊत्तक के हल्के रंग और गहरे रंग के वलयों - क्रमशः अग्रदारु और पश्चदारु का बनना।
(d) कैम्बियम की सक्रियता, जलवायु में विभिन्नता पर निर्भर होती है।
4. घास की पत्ती में रन्ध्र कैसे होते हैं?(2018)
(a) आयताकार
(b) वृक्काकार
(c) डंबलाकार
(d) ढोलकाकार
5. द्विबीजपत्री तने में द्वितीयक जाइलम और फ्लोएम किससे उत्पन्न होते हैं?(2018)
(a) कागजन
(b) संवहन एधा
(c) शीर्षस्थ विभज्या
(d) कक्षीय विभज्या
6. कैस्पेरी पट्टियाँ कहाँ होती हैं?(2018)
(a) वल्कुट
(b) परिरम्भ
(c) बाह्यत्वचा
(d) अन्तस्त्वचा
7. वह पादप कौन-से हैं, जिनमें द्वितीयक वृद्धि थोड़ी या बिल्कुल नहीं होती?(2018)
(a) शंकुधारी
(b) पर्णपाती आवृतबीजी
(c) घास
(d) साइकैड्स
8. संवहनी एधा सामान्यतः क्या बनाती है?(2017)
(a) काग अस्तर
(b) प्राथमिक पोषवाह
(c) द्वितीयक जाइलम
(d) परित्वक
9. मूल रोम किस क्षेत्र से विकसित होते हैं?(2017)
(a) परिपक्वन
(b) दीर्धीकरण
(c) मूल गोप
(d) विभज्योतकी सक्रियता
10. निम्नलिखित में से कौन मृत कोशिकाओं का बना होता है?(2017)
(a) जाइलम मृदूतक
(b) स्थूल कोणोतक
(c) काग
(d) पोषवाह
11. अंतःकाष्ठ के संदर्भ में निम्नलिखित में गलत कथन चुनिए(2017)
(a) इसमें कार्बनिक यौगिक जमा हो जाते हैं।
(b) यह अत्यंत टिकाऊ होती है।
(c) यह जल और खनिजों का चालन कुशलता से कर सकती है।
(d) इसमें अत्यंत लिग्निनयुक्त भित्ति वाले मृत तत्व होते हैं।
12. वल्कुट क्षेत्र किनके बीच में पाया जाता है?(2016)
(a) अन्तस्त्वचा और मज्जा
(b) अन्तस्त्वचा और संवहन बन्डल
(c) बाह्यत्वचा और रम्भ
(d) परिरम्भ और अन्तस्त्वचा
13. गुब्बारेनुमा संरचनायें, जो टाइलोसिस कहलाती है, वे(2016)
(a) वाहिकाओं में जाइलम मृदूतक कोशिकाओं की प्रसार होती है
(b) जाइलम वाहिकाओं से होकर रसारोहण से सम्बन्धित होती है
(c) वाहिकाओं की अवकाशिका से उत्पन्न होती है
(d) रसकाष्ठ को अभिलक्षित करती है
14. द्वार कोशिकाओं को घेरने वाली विशिष्टीकृत बाह्यत्वचीय कोशिकाओं को क्या कहा जाता है?(2016)
(a) आर्वधत्वक कोशिकाएँ
(b) वातरन्ध्र
(c) पूरक कोशिकाएँ
(d) सहायक कोशिकाएँ
15. आपको एक द्विबीजपत्री तने और एक द्विबीजपत्री जड़ के काफी पुराने टुकड़े दिये गये हैं। आप उन दोनों में विभेद करने के लिए निम्नलिखित में से कौन सी शारीरिक संरचनाओं का इस्तेमाल करेंगे?(2014)
(a) द्वितीयक दारू
(b) द्वितीयक पोषवाहक
(c) आदिदारू
(d) वल्कुट कोशिकाएँ
16. वाहिनिका, अन्य वाहिकीय तत्वों से कैसे भिन्न होती है?(2014)
(a) कैस्पेरीयन पट्टियों का होना
(b) अछिद्री होना
(c) केन्द्रक का अभाव
(d) लिग्निन युक्त होना
17. अंतरापूलीय एधा किसकी कोशिकाओं से विकसित होता है?(2013)
(a) मज्जा किरणों से
(b) अन्तःत्वचा से
(c) जाइलम मृदुतक से
(d) परिरम्भ से
18. वातरन्ध्र क्या करते हैं?(2013)
(a) वाष्पोत्सर्जन
(b) गैस विनिमय
(c) खाद्य अभिगमन
(d) प्रकाश संश्लेषण
19. किसी वृक्ष की आयु का आकलन किसके द्वारा किया जा सकता है?(2013)
(a) इसकी ऊँचाई और घेरे से
(b) जैवसंहति से
(c) वार्षिक वलयों की संख्या से
(d) इसके अन्तःकाष्ठ के व्यास से
20. अनावृतबीजीयों को मृदु दारू स्पर्मेटोफाइट्स भी कहा जाता है क्योंकि इनमें ये नहीं होते हैं(2012)
(a) एधा
(b) पोषवाह रेशे
(c) मोटी भित्तिय वाहिनियाँ
(d) दारू रेशे
1. घास में ऊपरी बाह्यत्वचा की कुछ कोशिकाएँ लंबी खाली तथा रंगहीन होती है, इन कोशिकाओं को आवर्ध त्वक्कोशिका (Bulliform Cell) कहते हैं। जब ये कोशिकाएँ जल का अवशोषण करती हैं और स्फीत (Turgid½) होती हैं, तब ये कोशिकाएँ मुड़ी हुई पत्तियों को खुलने में सहायता करती हैं। जल की कमी के कारण जब ये कोशिकाएँ शिथिल (Flaccid) होती हैं तो वाष्पोत्सर्जन की दर कम करने के लिए मुड़ जाती हैं।
2. अनावृतबीजियों (Gymnosperm) के फ्लोएम में चालनी नलिका और सहचर कोशिकाओं दोनों का अभाव होता है।
3. एधा की सक्रियता अनेक क्रियात्मक और पर्यावरणीय कारकों के नियन्त्रण में रहती है। शीतोष्ण प्रदेशों में जलवायु परिस्थितियाँ वर्षभर एक समान नहीं रहती हैं। वसन्त ऋतु में एधा अधिक सक्रिय होती है और बड़ी संख्या में चैड़ी गुहाओं वाले दारू तत्वों का निर्माण करती है। इस ऋतु में जो काष्ठ निर्मित होती है, वसन्त दारू या अग्रदारू कहलाती है। शरद ऋतुओं में एधा कम सक्रिय होती है और कम संख्या में संकरी गुहाओं वाले दारू तत्वों को निर्मित करती है, इस काष्ठ को शरद दारू या पश्च दारू कहते हैं। वसन्त दारू हल्के रंग की होती है और निम्न सघनता रखती है जबकि शरद दारू गहरे रंग की उच्च सघनता वाली होती है। ये दो प्रकार की काष्ठ जो एकांतर संकेन्द्रित वलयों के रूप में प्रतीत होती हैं, मिलकर वार्षिक वलय का निर्माण करती है।
4. घास एक बीजपत्री हैं, इसलिए डंबलाकार द्वार काशिका होती हैं। द्विबीजपत्रियों में द्वार कोशिकाएँ सेम के बीच के आकार अथवा वृक्क आकार की होती हैं।
5. संवहनी एधा पाश्र्वीय मेरिस्टेम का एक प्रकार है जो द्वितीयक ऊतक (जाइलम एवं फ्लोएम) का निर्माण द्वितीयक वृद्धि के दौरान करते हैं। यह दो प्रकार के मेरिस्टेम से उत्पन्न होता हैं- अंतःपूलीय कैम्बियम (Intrafascicular) (प्राथमिक मेरिस्टेम जो पट्टियों की तरह संवहन बण्डल में दिखाई देता हैं) और अंतरापूलीय कैबियम (Interfascicular)(द्वितीयक मेरिस्टेम जो मेड्यूलरी किरणों की स्थायी कोशिका से बना होता हैं) जो अंतःपूलीय के समीप होते हैं संवहन कैबियम की कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं- तर्कुरूप आद्यक (Fusiform initials) जो बाहर की ओर द्वितीयक जाइलम व अंदर की ओर द्वितीयक फ्लोएम बनाती हैं। रश्मि प्रारम्भिक (Ray initials) संवहन किरणें बनाती हैं।
6. अंतस्त्वचा की भित्ति पर कोशिकाओं की स्पर्श रेखीय तथा अरीय भित्तियों पर मोटाई वाले बैंड कैस्पेरियन पटियाँ होती हैं। यह सुबेरिन व लिग्निन दोनों से बनी होती हैं।
7. एकबीजपत्री (उदा-घास) में द्वितीयक वृद्धि नहीं होती हैं क्योंकि पाीय मेरिस्टेम कैबियम संवहन व कॉर्क कैबियम नहीं होते हैं। कॉनिफर्स (उदा-पाइनस) साइकेडस (उदा. साइकस) में बिल्कुल एन्जियोस्पर्म की तरह संवहन, ऊतक संवहन बण्डल में व्यवस्थि होते हैं। ये खुले प्रकार के होते हैं इसलिए द्वितीयक वृद्धि सामान्य होती हैं।
8. संवहनी एधा (Vascular cambium) की कोशिकाएँ बाहर तथा भीतर दोनों ओर पेरिक्लाइनली (Periclinally) विभाजित होती है जो द्वितीयक स्थायी ऊतक बनाते हैय जैसे-द्वितीयक जाइलम व द्वितीयक फ्लोएम।
9. मूलरोम (Root hair) पार्वी, बहुत पतली धागे समान बहिवृद्धि (Outgrowth) संरचनाएँ है जो कि परिपक्वन क्षेत्र (zone of maturation) की बाहरी कोशिका या मूलरोम क्षेत्र से विकसित होते है।
10. मृत व चैकोर आकार वाली कोशिकाओं जो बहुत पास-पास होती है से फैलम या काग बना होता है। इन कोशिकाओं की कोशिका भित्ति (Cell wall) में सुबेरिन का जमाव होता है।
11.अंतः काष्ठ (Heartwood) द्वितीयक जाइलम का निष्क्रिय भाग होता है अतएवं यह पानी व लवणों (Minerals) का चालन नहीं कर सकता है।
12. बाह्यत्वचा और रम्भ
13. टाइलोसिस गुब्बारे जैसी संरचना अर्थात् पेरेनकाइमा कोशिका की अतिवृद्धि है जो कि पड़ोसी जायलम, वाहिका या वाहिनिका की ल्यूमेन की ओर, कोशिका भित्ति के माध्यम से निकलती है। टाइलोसिस का निर्माण मुख्यतः पुराने लकड़ी के उत्तको में, संभवतः घावों में तुरंत क्रिया होती है। ये वाहिका को बंद कर फंजाई के संक्रमण या दूसरे पैथोजन से पादप को बचाते हैं। टाइलोसिस का भराव टेनिन, गम, वर्णक आदि से होता है जिससे हार्टवुड का रंग गहरा और उनकी भित्ति पतली या लिग्नीफाइड हो जाती है।
14. पत्तियों तथा हरे तने की बाह्य त्वचा पर अनेक रन्ध्र पाये जाते है जिन्हें स्टोमेंटा कहते है। प्रत्येक स्टोमेंटा एक जोड़ी विशिष्टीकृत बाह्यत्वचीय कोशिका द्वार कोशिकाओं द्वारा घिरे रहते है। द्वार कोशिकाएँ दो या दो से अधिक बाह्यत्वचीय कोशिकाओं से घिरी रहती है जिन्हें सहायक या उप कोशिकाएँ कहते हैं।
15. तनों में प्रोटोजाइलम केन्द्र (पिथ) की ओर स्थित होता है तथा मेटाजाइलम बाहर की ओर इस प्रकार का प्राथमिक जाइलम मध्य आदिदारू एन्डार्च कहलाता है। जड़ों में, प्रोटोजाइलम परिधि की ओर होता है एवं मेटाजाइलम केन्द्र की ओर होता है इस प्रकार की व्यवस्था को (बाह्य आदिदारू) (एक्जार्च) कहते हैं।
16. वाहिनिका दीर्घित, लिग्निनयुक्त कठोरभित्ति वाली के मृत कोशिकाएँ होती है जिनमें चैड़ा अवकाश व सर्पिल वलयाकार, स्तरित व जालिकावत व पिटयुक्त संकरी भित्ति पाई जाती है किन्तु भित्ति के अन्तिम छोर पर स्थित कपाट छिद्रित नहीं होते हैं। अतः इनकी अन्तिम सिरे की मिल दूसरी भित्ति द्वारा छिद्रों से जुड़ी नहीं होती है पूर्ण रूप से पृथक होती है। जबकि वाहिकाएँ लम्बी, बेलनाकार नलिका जैसी संरचनाएँ होती है जो कई कोशिकाओं द्वारा बनी होती है इन्हें वाहिका अवयव कहते हैं प्रत्येक की भित्ति लिग्निन युक्त होती है जिसमें एक बड़ी केन्द्र गुहिका होती है जिसमें रोप्लाज्म नहीं होता है ये लम्बवत् एक दूसरे के साथ एक छिद्रित पाइप की भांति जुड़े रहते हैं।
17. द्विबीजपत्री तने (Dicot stem) में प्राथमिक जाइलम तथा प्राथमिक फ्लोएम के मध्य कैम्बियम की कोशिकाओं की उपस्थिति, अंतरपूलीय कैम्बियम है। मज्जा किरणों की कोशिकाएँ इन अंतरापूलीय कैम्बियम (Intra fasicular cambium) से जुड़कर प्रविभाजी (Meristematic) बन जाती है तथा अन्तर पूलीय कैम्बियम का निर्माण करती है इस प्रकार कैम्बियम का निरंतर वलय निर्मित होता है।
18. वातरन्ध्र (Lenticels) लैंस के आकार का छिद्र छाल (Bark) में पाया जाता है और यह द्वितीयक वृद्धि के कारण होता है। ये काष्ठीय वृक्षों (Woody trees) में गैसीय आदान-प्रदान करते हैं। ये ट्रांसपिरेशन में भी सहायक होते हैं किन्तु अत्यंत ही कम मात्रा में क्योंकि सूबेरीनीकृत पूरक कोशिकाएँ छिद्र के नीचे पायी जाती है जो जल की अत्यधिक हानि को रोकती है।
19. द्वितीयक जाइलम के द्वारा एक वर्ष में शरद काष्ठ एवं बसन्त काष्ठ के दो पट्टियों का उत्पादन किया जाता है ये दो पट्टियाँ मिलकर एक वार्षिक वलय का निर्माण करती है। वार्षिक वलयों की गिनती करके वृक्ष की आयु का निर्धारण किया जा सकता है इसे डेन्डोक्रोनोलोजी कहा जाता है।
20. दारू रेशे
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